निवेश और निर्यात को प्रोत्साहन
AT रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन
भोपाल, मध्य प्रदेश। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रि-परिषद की बैठक मंत्रालय में सम्पन्न हुई। राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” गायन के साथ कैबिनेट की बैठक प्रारंभ हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए म.प्र. एमएसएमई विकास नीति-2025 और स्टार्ट-अप पॉलिसी और कार्यान्वयन योजना-2025 को मंजूरी दी है। इससे प्रदेश में आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी।मध्यप्रदेश एमएसएमई विकास नीति-2025 के जरिए निवेश पर 40 प्रतिशत तक की सहायता, नए उद्योगों में नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन, अनुसूचित जाति जनजाति, महिला उद्यमी इकाई को 48 प्रतिशत की सहायता और पिछड़े विकासखण्डों में 1.3 गुना सहायता का प्रावधान किया गया है।
निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए भी एमएसएमई नीति के तहत विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। इस नीति में निर्यातक इकाई को निवेश पर 52 प्रतिशत तक की सहायता, निर्यात हेतु माल ढुलाई पर अधिकतम 2 करोड़ रुपए की सहायता के साथ साथ निर्यात हेतु प्रमाण पत्र पर 50 लाख रुपए की सहायता का भी प्रावधान किया गया है। मध्यम इकाई को 100 से अधिक रोजगार देने पर डेढ़ गुना अनुदान दिया जाएगा। रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रति कर्मचारी 5000 रुपए प्रति माह 5 वर्ष तक मदद की जाएगी। इसके साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण हेतु 13000 रुपए की सहायता का भी नीति में प्रावधान है। सेवा क्षेत्र में पहली बार सहायता दी गई है। इसमें लॉजिस्टिक, रिसाईकलिंग, मोटर यान स्क्रेपिंग के साथ साथ आर एंड डी शामिल है।
मेडिकल डिवाइस और फुटवियर के लिए पहली बार विशेष पैकेज भी दिया गया
वहीं इस नीति के तहत नवीन क्षेत्र को सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है। जिसके तहत एमएसई एक्सचेंज, लीन इंजीनियरिंग, टेस्टिंग लैब, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हेतु सहायता का भी प्रावधान किया गया है।मध्यप्रदेश स्टार्ट-अप पॉलिसी के अनुसार उत्पाद आधारित स्टार्ट-अप्स के लिये विशेष प्रावधान किए गए है। अब उन्हें विद्युत शुल्क से छूट के अलावा रोजगार सृजन प्रोत्साहन और विद्युत टैरिफ में प्रतिपूर्ति सहायता दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसी तरह स्टार्ट-अप्स के विकास के चारों चरण आईडिएशन, वैलिडेशन, अर्ली स्टेज और ग्रोथ के स्तर पर यानि युवाओं के आईडियाज को पंख देने के लिए नीति के माध्यम से हर स्तर पर सहायता की जाएगी।स्टार्ट-अप पॉलिसी के मुताबिक आंत्रप्रेन्योर इन रेसीडेंस के तहत प्रत्येक स्टार्ट-अप को 12 महीने तक की अवधि के लिए प्रतिमाह 10 हजार रूपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसी तरह वृहद स्तर पर निवेश के लिेय 100 करोड़ रूपये का कैपीटल फंड स्थापित करने के साथ ही प्रति स्टार्ट-अप अधिकतम 30 लाख रूपये का सीड अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया गया है। नीति में बाजार उपलब्ध करवाने के लिए स्टार्ट अप्स को डिजीटल मार्केटिंग के साथ ही आयोजन में सहभागिता के प्रावधान किए गए है।
पॉलिसी में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में युवाओं को बड़ी राहत दी गई
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अब योजना में 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ ही ऋण गारंटी फीस की प्रतिपूर्ति भी राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। नीति में स्टार्ट-अप्स को अधोसंरचना विकसित करने के लिए प्रमुख शहरों में मेगा इन्यूवेशन सेंटर, सेटेलाइट सेंटर, को वर्किंग स्पेस और नवाचार आधारित क्षेत्रीय क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे। एक्सलेरेशन और हैकाथान जैसे कार्यक्रमों में नीति अनुसार नवाचार को उद्यमों में बदलने में सहायता मिलेगी। मध्यप्रदेश एमएसएमई को औद्योगिक भूमि एवं भवन आवंटन तथा प्रबंधन नियमों में सशोधन को भी मंजूरी दी है। संशोधन अनुसार विकसित किए जाने वाले औद्योगिक भू-खंडों का आबंटन “प्रथम आओ-प्रथम पाओ” पद्धति के स्थान पर ई-बिडिंग पद्धति से होगी।